Income Tax On FD : अब बैंक की FD से होने वाले कमाई पर इतना देना होगा टैक्स, जानिए इनकम टैक्स के नियम

Income Tax On FD – अब बैंक की FD से होने वाली कमाई पर कितना टैक्स देना होगा, ये सवाल आजकल हर उस व्यक्ति के मन में है जो अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने और उस पर अच्छा ब्याज कमाने के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) का सहारा लेते हैं। पहले FD को टैक्स बचाने और सुरक्षित निवेश का सबसे अच्छा माध्यम माना जाता था, लेकिन अब इसके ब्याज पर लगने वाला टैक्स बहुत से निवेशकों को परेशान करने लगा है। खासतौर पर उन लोगों के लिए जो सीनियर सिटिजन नहीं हैं और जिनकी इनकम टैक्स स्लैब में आती है। इस लेख में हम आपको पूरी जानकारी देंगे कि FD पर टैक्स कैसे लगता है, कौन-कौन सी छूट उपलब्ध है और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

FD क्या है और क्यों है ये निवेश का लोकप्रिय विकल्प?

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) एक ऐसा निवेश माध्यम है जिसमें आप एक निश्चित समय के लिए एकमुश्त रकम जमा करते हैं और उस पर बैंक एक तय ब्याज देता है। इसकी कुछ प्रमुख खूबियां हैं:

  • पूंजी की सुरक्षा मिलती है।
  • ब्याज दर पहले से तय होती है, जो बाजार जोखिम से बचाती है।
  • कई बैंक 7% से लेकर 8.25% तक ब्याज देते हैं (सीनियर सिटिजन के लिए ज्यादा रेट भी मिलती है)।
  • किसी भी उम्र के व्यक्ति के लिए FD खोलना आसान है।

FD से कमाई पर टैक्स कैसे लगता है?

FD से मिलने वाला ब्याज आपकी ‘इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेस’ में गिना जाता है और इस पर आपकी टैक्स स्लैब के अनुसार इनकम टैक्स देना होता है। इसका मतलब ये है कि अगर आप 20% या 30% स्लैब में आते हैं तो FD पर भी उतना ही टैक्स देना पड़ेगा।

एक उदाहरण से समझिए:

मान लीजिए आपने ₹5 लाख की FD करवाई है जिस पर सालाना 7% ब्याज मिल रहा है, यानी ₹35,000 का ब्याज। अगर आपकी कुल इनकम 8 लाख है तो ये ₹35,000 भी उसमें जुड़ जाएगा और उसी अनुसार टैक्स लगेगा।

TDS का क्या रोल है FD पर टैक्स में?

बैंक FD पर सालाना ₹40,000 (सीनियर सिटिजन के लिए ₹50,000) से ज्यादा ब्याज होने पर TDS (Tax Deducted at Source) काटता है।

ब्याज की रकम TDS कटौती कटौती की दर
₹40,000 तक (₹50,000 सीनियर के लिए) नहीं कटेगा NIL
₹40,001 या उससे ज्यादा कटेगा 10%
PAN न हो तो ज्यादा कटेगा 20%

महत्वपूर्ण: TDS कटने का मतलब ये नहीं कि आपकी टैक्स देनदारी खत्म हो गई। ये तो एडवांस टैक्स की तरह है, आपको ITR फाइल करते समय पूरे ब्याज को इनकम में जोड़ना होगा।

FD पर टैक्स से कैसे बचें? कुछ उपयोगी उपाय

FD पर टैक्स से पूरी तरह बचा नहीं जा सकता लेकिन कुछ प्लानिंग से इसे कम किया जा सकता है:

  • Form 15G/15H भरें: अगर आपकी इनकम टैक्सेबल लिमिट से कम है तो ये फॉर्म बैंक में भरकर TDS से बच सकते हैं।
  • सीनियर सिटिजन FD योजना: 60 साल से ऊपर के लोग ₹50,000 तक के ब्याज पर TDS से छूट पा सकते हैं और पोस्ट ऑफिस की SCSS स्कीम जैसे विकल्प बेहतर हो सकते हैं।
  • छोटे-छोटे FD में निवेश करें: एक ही FD में पूरी रकम न डालें, अलग-अलग बैंक में ₹40,000 से कम ब्याज वाली FD बनवाएं ताकि TDS न कटे।
  • पति-पत्नी के नाम अलग-अलग FD: इससे टैक्स लायबिलिटी को बांटा जा सकता है।
  • Tax Saving FD का विकल्प चुनें: ये FD 5 साल लॉक-इन पीरियड के साथ आती है और ₹1.5 लाख तक की छूट देती है सेक्शन 80C के तहत।

FD पर टैक्स का असर – एक असली जिंदगी का उदाहरण

मेरे एक परिचित श्री रमेश जी रिटायरमेंट के बाद ₹10 लाख की FD बनवाकर चैन से बैठे थे। उन्हें सालाना ₹75,000 ब्याज मिलता था। लेकिन अगले साल TDS कट गया और बैंक ने ₹7,500 काट लिए। उन्हें लगा कि ये पूरा टैक्स है, लेकिन जब उन्होंने ITR नहीं भरा तो इनकम टैक्स विभाग ने नोटिस भेज दिया। तब जाकर उन्हें समझ आया कि FD का ब्याज भी इनकम में जुड़ता है। अब वे हर साल फॉर्म 15H भरते हैं और अपने टैक्स प्लानर से सलाह लेते हैं।

निवेश के समय ध्यान में रखने योग्य बातें

  • FD का रिटर्न फिक्स होता है लेकिन टैक्सेबल भी होता है।
  • ब्याज पर टैक्स स्लैब के अनुसार देनदारी होती है।
  • सीनियर सिटिजन के लिए विशेष स्कीम उपलब्ध हैं।
  • टैक्स बचाने के लिए बेहतर प्लानिंग जरूरी है।

किन FD स्कीम्स में टैक्स बचाया जा सकता है?

स्कीम का नाम ब्याज दर (लगभग) टैक्स लाभ लॉक-इन अवधि
Tax Saving FD 7.00% ₹1.5 लाख तक 80C में छूट 5 साल
SCSS (सीनियर सिटिजन स्कीम) 8.20% ₹1.5 लाख तक 80C में छूट 5 साल
Post Office Time Deposit 7.50% कुछ विकल्पों में छूट 5 साल

इन विकल्पों का सही इस्तेमाल करके आप FD से बेहतर रिटर्न और टैक्स बचत दोनों कर सकते हैं।

FD एक सुरक्षित और स्थिर निवेश विकल्प है लेकिन इसके ब्याज पर लगने वाला टैक्स अक्सर निवेशकों की कमाई में सेंध लगाता है। इसलिए जरूरी है कि आप हर साल FD से होने वाली कमाई को ध्यान से देखें, फॉर्म 15G/15H भरें, टैक्स सेविंग विकल्पों पर विचार करें और समय पर ITR फाइल करें। सही जानकारी और थोड़ी प्लानिंग से आप अपने FD पर टैक्स का बोझ काफी हद तक कम कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्र.1. क्या FD पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है?
नहीं, FD से मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल होता है और आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार उस पर टैक्स लगता है।

प्र.2. FD पर TDS कब काटा जाता है?
जब सालाना ब्याज ₹40,000 (सीनियर सिटिजन के लिए ₹50,000) से अधिक हो जाए, तब TDS काटा जाता है।

प्र.3. क्या फॉर्म 15G/15H भरने से टैक्स नहीं देना होगा?
अगर आपकी कुल इनकम टैक्सेबल लिमिट से कम है और आप फॉर्म भरते हैं तो TDS नहीं कटेगा, लेकिन अगर इनकम लिमिट से ज्यादा है तो टैक्स देना पड़ेगा।

प्र.4. क्या टैक्स सेविंग FD में TDS नहीं लगता?
टैक्स सेविंग FD में भी ब्याज टैक्सेबल होता है, हांलांकि मूलधन पर आपको 80C के तहत छूट मिलती है।

प्र.5. क्या पति-पत्नी दोनों FD पर अलग-अलग टैक्स भर सकते हैं?
अगर दोनों की FD अलग-अलग नाम से है और दोनों की इनकम अलग है, तो टैक्स भी अलग-अलग भर सकते हैं।

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