Petrol Diesel Price Today – आज की तारीख में जब हर चीज़ की क़ीमत बढ़ रही है, तो ऐसे में पेट्रोल और डीज़ल के दाम भी आम आदमी की जेब पर सीधा असर डालते हैं। रोज़मर्रा के खर्चों में सबसे बड़ा हिस्सा ईंधन का होता है, खासकर उन लोगों के लिए जो ऑफिस आने-जाने के लिए टू-व्हीलर या कार का इस्तेमाल करते हैं। मंगलवार 15 जुलाई की सुबह एक बार फिर पेट्रोल-डीजल के ताज़ा रेट्स जारी कर दिए गए हैं। तो चलिए जानते हैं आपके शहर में पेट्रोल-डीज़ल के नए रेट्स क्या हैं और इससे आपकी जेब पर क्या असर पड़ेगा।
पेट्रोल-डीजल के दाम क्यों होते हैं रोज़ अपडेट?
बहुत सारे लोग ये सवाल पूछते हैं कि आख़िर पेट्रोल-डीज़ल के दाम रोज़-रोज़ क्यों बदलते हैं। दरअसल, भारत में फ्यूल प्राइसिंग सिस्टम ‘डेली रिवाइज़िंग मॉडल’ पर चलता है। इसका मतलब है कि हर दिन सुबह 6 बजे पेट्रोल और डीज़ल की नई कीमतें तय की जाती हैं, जो अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के दामों, टैक्स, ट्रांसपोर्ट कॉस्ट और अन्य फैक्टर्स पर निर्भर करती हैं।
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम
- रुपये और डॉलर के बीच एक्सचेंज रेट
- केंद्र और राज्य सरकार के टैक्स
- डीलर कमीशन
- ट्रांसपोर्टेशन लागत
आज के ताज़ा रेट्स – जानिए आपके शहर में कीमतें
आज 15 जुलाई को भारत के प्रमुख शहरों में पेट्रोल और डीज़ल के रेट्स कुछ इस प्रकार हैं:
शहर | पेट्रोल (₹/लीटर) | डीज़ल (₹/लीटर) |
---|---|---|
दिल्ली | 96.72 | 89.62 |
मुंबई | 106.31 | 94.27 |
चेन्नई | 102.63 | 94.24 |
कोलकाता | 106.03 | 92.76 |
बेंगलुरु | 101.94 | 87.89 |
जयपुर | 108.48 | 93.72 |
लखनऊ | 96.57 | 89.76 |
पटना | 107.24 | 94.04 |
नोट: यह रेट्स इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के आधिकारिक पोर्टल से लिए गए हैं।
आपके बजट पर क्या असर पड़ता है?
अब सवाल ये है कि इन रेट्स से आम आदमी पर क्या असर होता है? एक उदाहरण लेते हैं:
रमेश जी, जो दिल्ली में रहते हैं और हर दिन अपनी बाइक से ऑफिस जाते हैं। वो रोज़ाना लगभग 30 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। उनकी बाइक 40 किमी प्रति लीटर देती है। अगर पेट्रोल 96.72 रुपये प्रति लीटर है, तो उनका रोज़ का खर्च लगभग 72.5 रुपये हुआ। अब अगर रेट 1-2 रुपये भी बढ़ता है तो उनका मासिक खर्च ₹150-₹200 तक बढ़ सकता है। इसी तरह अगर कोई व्यक्ति कार से ट्रैवल करता है, तो यह खर्च कहीं ज़्यादा हो सकता है।
कैसे करें ईंधन की बचत?
- कारपूलिंग करें: अगर आप ऑफिस जाते हैं, तो अपने सहकर्मियों के साथ कारपूल करें।
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट: मेट्रो, बस जैसे विकल्प अपनाएं।
- वाहन की मेंटेनेंस: समय-समय पर इंजन और टायर की जांच करवाएं।
- स्मार्ट ड्राइविंग: तेज एक्सेलेरेशन और बार-बार ब्रेक लगाने से ईंधन ज़्यादा खर्च होता है।
पेट्रोल-डीजल की कीमतें कैसे तय होती हैं?
लोगों को अक्सर लगता है कि तेल कंपनियां मनमानी कीमतें तय करती हैं, लेकिन असल में इसकी प्रक्रिया बेहद पारदर्शी होती है। यहां कुछ मुख्य फैक्टर्स हैं:
- क्रूड ऑयल की कीमत: जिसे अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ब्रेंट क्रूड कहते हैं, उसकी कीमत सबसे अहम फैक्टर होती है।
- रुपया-डॉलर का रेट: कच्चा तेल डॉलर में खरीदा जाता है, इसलिए रुपया कमजोर होने पर कीमतें बढ़ जाती हैं।
- सरकारी टैक्स: केंद्र और राज्य सरकारें एक्साइज ड्यूटी और वैट लगाती हैं, जो कुल कीमत का बड़ा हिस्सा होती है।
आम जनता पर असर – एक नजर जमीनी हकीकत पर
गीता देवी, जो कि एक मध्यमवर्गीय गृहिणी हैं, बताती हैं कि उनके पति की सैलरी फिक्स है लेकिन खर्चे हर महीने बढ़ते जा रहे हैं। सब्ज़ियों के दाम से लेकर दूध तक की कीमतें पेट्रोल-डीजल महंगे होने से प्रभावित हो जाती हैं। क्योंकि ट्रांसपोर्ट महंगा होता है।
ऑटो चालक महेश भाई का कहना है कि पहले वह रोज़ाना 500 रुपये की आमदनी कर लेते थे, लेकिन अब पेट्रोल महंगा होने की वजह से आधी कमाई फ्यूल में चली जाती है।
सरकारी कदम और भविष्य की उम्मीद
सरकार कई बार टैक्स में कटौती करके जनता को राहत देती है, लेकिन यह कदम अस्थायी होते हैं। अगर पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाया जाए, तो कीमतों में पारदर्शिता और एकरूपता आ सकती है। हालांकि यह कदम कब उठेगा, इसका अभी कुछ निश्चित नहीं है।
क्या करें आम आदमी?
पेट्रोल और डीज़ल के बढ़ते दामों से निपटने के लिए हमें खुद को थोड़ा स्मार्ट बनाना पड़ेगा। तकनीक और जागरूकता का सही इस्तेमाल कर हम अपने खर्चों को नियंत्रित कर सकते हैं। जहां एक ओर सरकार से स्थायी समाधान की उम्मीद करनी चाहिए, वहीं व्यक्तिगत स्तर पर बचत की आदत डालनी होगी।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न 1: पेट्रोल-डीजल की कीमतें हर रोज क्यों बदलती हैं?
उत्तर: भारत में डेली प्राइसिंग मॉडल लागू है, जिससे कीमतें हर सुबह 6 बजे अंतरराष्ट्रीय तेल दामों के आधार पर अपडेट होती हैं।
प्रश्न 2: क्या सभी राज्यों में पेट्रोल के दाम अलग होते हैं?
उत्तर: हां, क्योंकि हर राज्य अलग वैट (VAT) लागू करता है, जिससे कीमतें अलग-अलग होती हैं।
प्रश्न 3: पेट्रोल की कीमत में सबसे बड़ा योगदान किसका होता है?
उत्तर: टैक्स और एक्साइज ड्यूटी का, जो कुल कीमत का लगभग 50% होता है।
प्रश्न 4: क्या ईंधन को GST में लाया जा सकता है?
उत्तर: तकनीकी रूप से हां, लेकिन इसके लिए केंद्र और राज्यों की सहमति ज़रूरी है।
प्रश्न 5: आम लोग ईंधन की बढ़ती कीमतों से कैसे निपट सकते हैं?
उत्तर: कारपूलिंग, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, स्मार्ट ड्राइविंग और वाहन की नियमित देखभाल से ईंधन की बचत की जा सकती है।