New Rental Rights – अब किराएदारों को मकान मालिक की मनमानी या डर से परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। साल 2025 में कोर्ट ने किराए पर रहने वाले लोगों के हक में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिससे किराएदारों को अब कानूनी तौर पर 5 नए अधिकार मिल गए हैं। यह बदलाव देश के करोड़ों ऐसे लोगों के लिए राहत की सांस है जो किराए पर मकान लेकर रहते हैं और आए दिन मकान मालिकों की अनुचित मांगों या धमकियों से परेशान रहते हैं। चाहे वह अचानक किराया बढ़ाना हो, जबरदस्ती खाली करवाना हो या फिर सुरक्षा राशि वापस ना करना – अब इन सब मामलों में कानून किराएदार के साथ खड़ा है। यह लेख उन्हीं नए अधिकारों को विस्तार से समझाता है और यह भी बताता है कि आप इनका लाभ कैसे उठा सकते हैं।
क्या कहता है नया कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने 2025 में किराएदारों के पक्ष में जो 5 नए अधिकार तय किए हैं, वो निम्नलिखित हैं:
- बिना नोटिस के बेदखली नहीं की जा सकती
- लिखित एग्रीमेंट के बिना कोई शर्त लागू नहीं मानी जाएगी
- सिक्योरिटी डिपॉजिट का समय पर रिफंड अनिवार्य
- रखरखाव का जिम्मा स्पष्ट रूप से तय होना चाहिए
- भेदभाव के खिलाफ कानूनी संरक्षण
ये सभी अधिकार देशभर में लागू होंगे और मकान मालिक अब मनमानी तरीके से किराएदारों को तंग नहीं कर सकेंगे।
किराएदारों का सबसे बड़ा डर: अचानक बेदखली
देश के कई हिस्सों से ऐसी शिकायतें आती रही हैं जहां मकान मालिक किराएदार को बिना किसी नोटिस या वैध कारण के निकाल देते हैं।
- अब कोर्ट के नए नियमों के अनुसार, कम से कम 30 दिन का लिखित नोटिस देना अनिवार्य है।
- अगर कोई मकान मालिक बिना नोटिस किराएदार को घर खाली करने को कहता है, तो वह कानून का उल्लंघन होगा।
- किराएदार इस स्थिति में स्थानीय रेंट अथॉरिटी या कोर्ट में शिकायत दर्ज करवा सकता है।
उदाहरण:
दिल्ली की रेखा शर्मा पिछले 3 साल से एक फ्लैट में रह रही थीं। मकान मालिक ने अचानक एक दिन उन्हें एक हफ्ते में घर खाली करने को कह दिया। अब नए नियम के तहत रेखा शिकायत दर्ज करवा सकती हैं और उन्हें 30 दिन की राहत मिल सकती है।
बिना एग्रीमेंट के कोई भी शर्त लागू नहीं होगी
बहुत सारे मकान मालिक बिना लिखित एग्रीमेंट के ही किराएदार को नियम थमा देते हैं – जैसे मेहमान ना लाना, किचन इस्तेमाल ना करना आदि।
- नए नियम के अनुसार, बिना रजिस्टर्ड किरायानामा के कोई भी शर्त वैध नहीं मानी जाएगी।
- किराएदार को लिखित कॉन्ट्रैक्ट की कॉपी लेना अनिवार्य है, जिससे वो किसी भी विवाद की स्थिति में उसका सहारा ले सके।
ज़रूरी बातें:
- किरायानामा में किराया, अवधि, बिजली-पानी के बिल, और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी स्पष्ट होनी चाहिए।
- यह एग्रीमेंट कम से कम ₹100 स्टाम्प पेपर पर होना चाहिए और दोनो पक्षों के सिग्नेचर अनिवार्य हैं।
सिक्योरिटी डिपॉजिट को लेकर सख्त नियम
अक्सर किराए के अंत में मकान मालिक सिक्योरिटी डिपॉजिट नहीं लौटाते या उसमें कटौती कर देते हैं।
- अब नियम है कि 90 दिनों के भीतर सिक्योरिटी राशि का पूरा भुगतान करना अनिवार्य है।
- अगर मकान में कोई नुकसान नहीं है, तो कोई भी कटौती अवैध मानी जाएगी।
- किराएदार इस मामले में कंज़्यूमर कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा सकता है।
उदाहरण:
पुणे के रोहित ने 1 साल किराए पर रहने के बाद घर खाली किया, लेकिन मकान मालिक ने ₹20,000 की डिपॉजिट में से ₹15,000 काट लिए। रोहित ने नए नियम के तहत शिकायत दर्ज करवाई और पूरा पैसा वापस मिला।
मरम्मत और रखरखाव की ज़िम्मेदारी
कई बार मकान मालिक बिजली, पानी, पेंटिंग जैसी ज़रूरी चीज़ों की मरम्मत नहीं करवाते और किराएदार को खुद करना पड़ता है।
- अब कोर्ट ने साफ किया है कि मेंटेनेंस की ज़िम्मेदारी किरायानामा में स्पष्ट होनी चाहिए।
- अगर मकान मालिक मेंटेनेंस नहीं करता, तो किराएदार उसे लीगल नोटिस भेज सकता है और काम करवाकर खर्च किराए से काट सकता है।
ध्यान देने योग्य बातें:
- लीकेज, सीलन, टूटे हुए ताले आदि की जिम्मेदारी मकान मालिक की होगी।
- अगर किराएदार ने खुद कुछ काम करवाया है, तो उसका बिल दिखाकर पैसे की भरपाई मांग सकता है।
जाति, धर्म, पेशे के आधार पर भेदभाव नहीं
कई बार किराएदारों को उनकी जाति, धर्म, पेशे या अविवाहित स्थिति के कारण मकान नहीं मिलता।
- अब इस पर कोर्ट ने कहा है कि किराएदार को सिर्फ उसके आचरण और भुगतान क्षमता के आधार पर ही मकान दिया या ना दिया जाए।
- कोई भी मकान मालिक अगर धर्म, जाति या पेशे के आधार पर भेदभाव करता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
उदाहरण:
मुंबई के फैशन डिजाइनर अमन को सिर्फ इसलिए मना कर दिया गया क्योंकि वे अकेले रहते हैं। अब वो रेंट अथॉरिटी में शिकायत कर सकते हैं।
नए नियमों का पालन ना करने पर सज़ा
अगर कोई मकान मालिक इन नए नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
नियम का उल्लंघन | संभावित कार्रवाई |
---|---|
बिना नोटिस निकाला | ₹25,000 तक जुर्माना या 3 महीने की जेल |
सिक्योरिटी डिपॉजिट नहीं लौटाया | उपभोक्ता अदालत में केस और ब्याज सहित भुगतान |
भेदभाव किया | मानवाधिकार आयोग में केस और FIR दर्ज हो सकती है |
मेंटेनेंस की अनदेखी | कोर्ट आदेश पर मरम्मत की लागत की वसूली |
किराएदारों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- हर स्थिति में लिखित एग्रीमेंट बनवाएं।
- किराया और डिपॉजिट का भुगतान बैंक ट्रांसफर या रसीद के माध्यम से करें।
- मकान में किसी भी समस्या की फोटो/वीडियो रिकॉर्डिंग रखें।
- कोई समस्या होने पर तुरंत रेंट अथॉरिटी या कंज़्यूमर कोर्ट में शिकायत करें।
2025 में आए इस नए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने किराएदारों को एक नई ताकत दी है। अब वे न सिर्फ अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठा सकते हैं, बल्कि मकान मालिक की मनमानी के खिलाफ खड़े भी हो सकते हैं। अगर आप भी किराए पर रहते हैं, तो इन अधिकारों को जानना और उनका इस्तेमाल करना अब आपकी ज़िम्मेदारी है। याद रखें – कानून अब आपके साथ है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न 1: क्या बिना एग्रीमेंट के किराया देना वैध है?
उत्तर: नहीं, बिना लिखित एग्रीमेंट के कोई भी किराया समझौता वैध नहीं माना जाएगा।
प्रश्न 2: अगर मकान मालिक सिक्योरिटी डिपॉजिट नहीं लौटाए तो क्या करें?
उत्तर: किराएदार उपभोक्ता अदालत में केस कर सकता है और पूरा भुगतान ब्याज सहित प्राप्त कर सकता है।
प्रश्न 3: क्या मकान मालिक बिना कारण किराएदार को निकाल सकता है?
उत्तर: नहीं, अब कम से कम 30 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है।
प्रश्न 4: क्या एकल व्यक्ति को मकान देने से मना करना अवैध है?
उत्तर: हां, भेदभाव के तहत ऐसा मना करना अब गैरकानूनी माना जाएगा।
प्रश्न 5: क्या मरम्मत का खर्च किराएदार खुद उठा सकता है?
उत्तर: हां, लेकिन यदि मकान मालिक अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभाता है, तो किराएदार कोर्ट से आदेश लेकर खर्च की वसूली कर सकता है।